बीसीसीएल के लगभग 50 हजार कोयला कर्मचारी जलावन कोयला नहीं मिल पाने के कारण संकट में हैं। वर्षों पुरानी परंपरा के विपरीत विशेष अवसरों के लिए भी कर्मचारियों को जलावन कोयला उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। धनबाद कोयलांचल, जो बीसीसीएल का क्षेत्र है, वहां ऐसी कोई दुकान नहीं है, जहां से कोयला खरीदा जा सके। जाहिर है कि गैस कनेक्शन और कोयले की अनुपलब्धता कोयला कर्मचारियों को इंधन के लिए चोरी का कोयला खरीदने को मजबूर कर सकती है। जिनके श्रम से देश को ऊर्जा मिलती है, उनके साथ ऐसे बर्ताव की जितनी निंदा की जाए कम होगी।
बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा तय नीतियों के तहत मौजूदा समय में कुल कोयला कर्मचारियों में से 30 प्रतिशत कोयला कर्मचारियों को एलपीजी के लिए रूपए दिए जाते हैं। बाकी 70 प्रतिशत कर्मचारियों को न एलपीजी के लिए रूपए दिए जा रहे हैं और न ही जलावन कोयला।
प्रबंधन ने पिछले साल घोषणा की थी कि 1 अप्रैल 2010 से कोयला कर्मचारियों को जलावन कोयले की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। कोयले के विकल्प के तौर पर कर्मचारियों को एलपीजी का इस्तेमाल करना होगा। प्रबंधन के इस फैसले से किसी को आपत्ति नहीं है। पर एलपीजी के कनेक्शन मिले या उपलब्ध कराए बगैर कोयले की आपूर्ति बंद कर देना कोयला कर्मचारियों के साथ अन्याय है।
मौजूदा समय में प्रबंधन की इस नीति से उन 30 प्रतिशत कर्मचारियों पर तो असर नहीं है, जिनके पास एलपीजी के कनेक्शन पहले से है। प्रबंधन उन्हें एलपीजी खरीदने के लिए प्रतिमाह भुगतान कर रहा है। परन्तु 70 प्रतिशत कोयला कर्मचारियों के पास एलपीजी का कनेक्शन नहीं है और उन्हें कोयला भी नहीं मिल रहा है। इन कर्मचारियों के लिए प्रबंधन ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल 2010 से तीन महीने तक कोयले की जगह एलपीजी के लिए भुगतान किया जाएगा। इस बीच कर्मचारियों को एलपीजी कनेक्शन ले लेना होगा। परन्तु प्रबंधन ने अपनी इस घोषणा पर अमल नहीं किया। दूसरी तरफ कोयला कर्मचारियों के लिए गैस कनेक्शन लेने की स्थिति नहीं बन पाई।
धनबाद के कोयला क्षेत्र में जितनी गैस एजेंसियां हैं, वे एक साथ इतने कोयला कर्मचारियों को गैस कनेक्शन देने में शायद ही सक्षम होंगी। दूसरी बात यह कि कोयला कर्मचारियों की बसावट से गैस एजेंसियों की दूरी को ध्यान में रखते हुए मौजूदा गैस एजेंसियों से कनेक्शन मिल जाने पर भी समस्या बनी रहेगी। कोयला कर्मचारियों को गैस कनेक्शन का लाभ तभी मिल पाएगा, जब उनकी बसावट के आसपास नई गैस एजेंसियां खुलेंगी और इसके लिए प्रबंधन के स्तर पर पहल की जरूरत होगी।
बीसीसीएल प्रबंधन द्वारा तय नीतियों के तहत मौजूदा समय में कुल कोयला कर्मचारियों में से 30 प्रतिशत कोयला कर्मचारियों को एलपीजी के लिए रूपए दिए जाते हैं। बाकी 70 प्रतिशत कर्मचारियों को न एलपीजी के लिए रूपए दिए जा रहे हैं और न ही जलावन कोयला।
प्रबंधन ने पिछले साल घोषणा की थी कि 1 अप्रैल 2010 से कोयला कर्मचारियों को जलावन कोयले की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। कोयले के विकल्प के तौर पर कर्मचारियों को एलपीजी का इस्तेमाल करना होगा। प्रबंधन के इस फैसले से किसी को आपत्ति नहीं है। पर एलपीजी के कनेक्शन मिले या उपलब्ध कराए बगैर कोयले की आपूर्ति बंद कर देना कोयला कर्मचारियों के साथ अन्याय है।
मौजूदा समय में प्रबंधन की इस नीति से उन 30 प्रतिशत कर्मचारियों पर तो असर नहीं है, जिनके पास एलपीजी के कनेक्शन पहले से है। प्रबंधन उन्हें एलपीजी खरीदने के लिए प्रतिमाह भुगतान कर रहा है। परन्तु 70 प्रतिशत कोयला कर्मचारियों के पास एलपीजी का कनेक्शन नहीं है और उन्हें कोयला भी नहीं मिल रहा है। इन कर्मचारियों के लिए प्रबंधन ने घोषणा की थी कि 1 अप्रैल 2010 से तीन महीने तक कोयले की जगह एलपीजी के लिए भुगतान किया जाएगा। इस बीच कर्मचारियों को एलपीजी कनेक्शन ले लेना होगा। परन्तु प्रबंधन ने अपनी इस घोषणा पर अमल नहीं किया। दूसरी तरफ कोयला कर्मचारियों के लिए गैस कनेक्शन लेने की स्थिति नहीं बन पाई।
धनबाद के कोयला क्षेत्र में जितनी गैस एजेंसियां हैं, वे एक साथ इतने कोयला कर्मचारियों को गैस कनेक्शन देने में शायद ही सक्षम होंगी। दूसरी बात यह कि कोयला कर्मचारियों की बसावट से गैस एजेंसियों की दूरी को ध्यान में रखते हुए मौजूदा गैस एजेंसियों से कनेक्शन मिल जाने पर भी समस्या बनी रहेगी। कोयला कर्मचारियों को गैस कनेक्शन का लाभ तभी मिल पाएगा, जब उनकी बसावट के आसपास नई गैस एजेंसियां खुलेंगी और इसके लिए प्रबंधन के स्तर पर पहल की जरूरत होगी।
पर सरकार या प्रबंधन इतनी दूर तक सोचने को तैयार कहां है, जबकि इस मामले में तत्काल दखल देकर कोयला कर्मचारियों के जलावन की वैकल्पिक व्यवस्था होने तक फिर से कोयले की आपूर्ति की शुरू करवाने की जरूरत है।
4 comments:
अगर गरीबों कर्मचारियों के चुल्हे आसानी से चलने लगे तो सरकार कैसे चलेगी। बाज़ारवाद कैसे फलेगा? बहुत अच्छा लगा आपका आले। धन्यवाद्।
खूबसूरत पोस्ट
अच्छे विषय पर आपने ध्यान दिलाया है सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाई
समस्या गम्भीर है कोयला मज़दूर अगर ईधन के लिये तरसे तो इससे बुरा क्या हो सकता है
Post a Comment