Friday, 26 September 2008

तभी सफल होगा आतंकवाद विरोधी मुहिम




देश की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में अब तक 4538 आम नागरिक और 1775 सुरक्षा जवान आतंकवाद की भेंट चढ़ चुके हैं। अल कायदा और उसके समर्थित आतंकवादी संगठन डंके की चोट पर भारत के विभिन्न हिस्सों में बेगुनाह लोगों के खून बहाकर आतंक का साम्राज्य कायम करने की नापाक कोशिशों में जुटे हुए हैं। सरकार की कायरता कहें या आतंकवादियों के प्रति सरकार की नरमी, आतंकवादी संगठनों के हौसलें बुलंद होते जा रहे हैं। आलम यह है कि अब वे समय और स्थान बताकर धमाके कर रहे हैं और सरकार का रवैया इन मामलों में ऐसा होता है, मानों उसमें आतंकवाद से लड़ने की इच्छा-शक्ति ही समाप्त हो चुकी हो।
हाल के दिनों में आतंकवादियों ने गुजरात में हमला ऐसे समय मे किया, जब देश का खुफिया तंत्र सोया हुआ था। लेकिन इस घटना के बाद पकड़े गए आतंकवादियों से गुजरात पुलिस को जो सुराग मिले, उसके आधार पर मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह को समय रहते अगाह कर दिया। श्री मोदी ने साफ शब्दों में बता दिया था कि आतंकवादियों का अगला निशाना दिल्ली है। बावजूद इसके केंद्र सरकार सोयी रही। नतीजतन आतंकवादियों को अपने पूर्व नियोजित तथाकथित जेहाद को अंजाम देने मौका मिल गया। हैरानी इस बात से हुई कि केंद्रीय गृह मंत्री श्री शिवराज सिंह पाटिल ने इस घटना के बाद बड़ी मासूमियत से कह दिया कि सरकार को यह नहीं पता था कि आतंकवादी वारदात को कब अंजाम देने वाले हैं। यानी कि उन्हें बता दिया जाता कि आतंकवादी कब और कहां हमला करने वाले हैं तो वह पुलिस बल भेज देतें! केंद्र की यूपीए सरकार के हाथों देश का भविष्य कितना सुरक्षित है, इस बात से इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
आतंकवादियों ने फिर से धमकी दे रखी है कि वे भाजपा के वरिष्ट नेता तथा पूर्व उप प्रधान मंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी की शिलांग यात्रा के दौरान 29 सितंबर 2008 को उन पर निशाना बनाएंगे। कहने की जरूरत नहीं कि केंद्र सरकार को आतंकवादियों द्वारा दी गई चेतावनी की पूर्व सूचना मिल चुकी है। उसे आतंकवादियों द्वारा उनके नापाक इरादों को अंजाम दिए जाने की तिथि और स्थान का भी पता चल चुका है। अब उम्मीद है कि केंद्र सरकार को आतंकवादियों के मंसूबे पर पानी फेरने में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए। वैसे मैं अपनी तरफ से कहना चाहती हूं कि जब देश में कानून का राज नहीं रह गया है तो भाजपा अपने बल-बूते आतंकियों से मुकाबला करने का माद्दा रखती है। और यही वजह है कि भाजपा के तमाम नेता आतंकियों की चेतावनियों को दरकिनार करके बेखौफ दौरे कर रहे हैं। आगे भी करते रहेंगे।
केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी ने 24 सितंबर को कहा कि देश में पोटा जैसे मानवाधिकार हनन वाले कानून की जरूरत नहीं थी और देश का मौजूदा कानून कई देशों के कानूनों से ज्यादा ताकतवर है। यह बात यूपीए के बड़े नेताओं ने तब उन्हें आगे करके कहलवाई, जब राहुल गांधी का बयान अल्पसंख्यक विरोधी लगा कि आतंकवाद से निबटने के लिए पोटा से भी कड़े कानून की जरूरत है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ऱामविलास पासवान सिमी जैसे आतंकवादी संगठन के पक्ष मे खड़े हैं तो उसके निहितार्थ को समझा जा सकता है और आने वाले समय में इनकी देश-भक्ति पर जनता सवाल जरूर करेगी। लेकिन आतंकवाद के मामले में कांग्रेस के इस रवैये से देश कमजोर हो रहा है। देश का खुफिया संगठन या अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी क्या करे, सरकार में बैठे लोग किसी भी एजेंसी को आतंकवादियों के खिलाफ सख्ती करने दें तब तो।
दिल्ली धमाकों के बाद गुजरात पुलिस की टिप्स पर दिल्ली पुलिस की धमाकों को अंजाम देने वालों से मुठभेड़ हुई तो पुलिस का एक अधिकारी शहीद हुआ लेकिन दो आतंकवादियों की जाने लेने और एक को गिरफ्त में लेने के बाद। इस घटना के बाद केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ दलों के अनेक नेता मानों सन्न रह गए। जब पूरा देश शहीद पुलिस अधिकारी को सलाम कर रहा था तब ये नेता कथित आतंकवादियों की मौत के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए थे। सरकार के इस रवैये के कारण ही जनता के पैसे से संचालित जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के कुलपति को आतंकवादियों के पक्ष में खड़े होने की शक्ति मिली। विश्व के किसी भी देश में देशद्रोहियों से नरमी का ऐसा उदाहरण नहीं मिलेगा। दूसरा देश होता तो आतंकवादियों के पक्ष मे खड़े होने वाले की भूमिकाओं की जांच कराकर उनके खिलाफ उसी कानून के तहत कार्रवाई की जाती, जिस कानून के तहत आतंकवादियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाती है।
दिल्ली पुलिस के जांबाज अधिकारी शहीद एमसी शर्मा के मामले में केंद्र सरकार ने जैसा रूख अपनाया, उससे वह पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। इस अमर शहीद के परिवार वालों को सहायता देने के मामले में केंद्र सरकार साफ मुकड़ गई और कहा कि यह मामला दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र का है। इस बात को लेकर सुरक्षा एजेंसियों से लेकर देश का हर नागरिक सन्न रह गया। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। देश के राजनैतिक मामलों में नपी-तुली बात करने वाले सुपर स्टार अमिताभ बच्चन तक को अपने एक फैन के शब्दों में कहना पड़ा - एक शूटर गोल्ड मेडल जीतता है और सरकार उसे एक करोड़ रुपये देती है। एक और शूटर आतंकवादियों से लड़ता हुआ मारा जाता है, सरकार उसे 5 लाख रुपये देती है। बताइए, कौन है असली विजेता !! अंत में उन्हें कहना पड़ा कि मानव बनने के लिए, मानवीय बनिए। इस प्रतिनिधि वाक्य से समझा जा सकता है कि देश की जनता अपनी चुनी हुई सरकार के बारे में अब क्या ख्याल रखती है।
अमेरिका में अलकायदा के हमले के सात साल पूरे हो गए। लेकिन तब से अब तक आतंकवाद की छोटी भी घटना नहीं घटी। अमेरिकी सरकार के आतंकवाद से लड़ने की दृढ़ इच्छा-शक्ति के कारण ही ऐसा हो सका। आलम यह है कि अमेरिकी सरकार आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया में माहौल बनाने में कामयाब हो चुकी है और वह आतंकवाद से सात समुंदर पार लड़ाई लड़ रही है। अमेरिकी सरकार के इस कदम पर सैद्धांतिक बहस हो सकती है। लेकिन यह हकीकत है कि अमेरिका का विपक्ष भी आतंकवाद के मुद्दे पर सरकार के साथ है। इसक उलट भारत की स्थिति यह है कि केंद्र राजग की सरकार जाते ही सत्तारूढ़ यूपीए सरकार ने आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाए गए पोटा जैसे कानून का खात्मा कर दिया और उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों के विरूद्ध दिए गए फैसले पर वर्षों से अमल करने से वह कतरा रही है। असल में अल्पसंख्यक वोटों की चिंता में देश की सुरक्षा को ताक पर रख दिया गया है। वरना जिस अफजल को देश आतंकवादी धोषित कर चुका है, उसका मृत्युदंड क्यों रूका हुआ है? क्यों कुछ राजनीतिक दल उसकी पैरवी कर रहे हैं?
माननीय अटलबिहारी वाजपेयी की नेतृत्व वाली राजग सरकार में आतंकवाद से लड़ने की इच्छा-शक्ति थी। उसने सुरक्षा एजेंसियों को किसी दबाव में नहीं रखा और पोटा जैसे कानून बनाकर उनके हाथ मजबूत किए। उसी का नतीजा है कि 13 दिसंबर 2001 को नई दिल्ली में संसद में हमला करने गए आतंकवादियों को सुरक्षा एजेंसियों ने धूल चटा दी थी। संसद भवन में घुसने से पहले से सारे आतंकवादी मार गिराए गए थे। बाद में इन आतंकवादियों के मास्टर माइंड अफजल गुरू को पोटा के तहत गिरफ्तार करके अदालत से सजा दिलाने का पुख्ता इंतजाम किया गया था। लेकिन सरकार बदलते ही सब कुछ बदल गया। यदि राजग की सरकार बनी रह जाती तो आतंकवाद विरोधी मुहिम के तहत सभी देशवासियों को एकजुट करने का प्रयास सफल हो गया होता और आतंकवादियों को इतने सारे बेकसूर लोगों की जान से खेलने का मौका नहीं मिला होता।
अब समय आ गया है जब जनता को आतंकवादियों से नरमी बरतने वाले राजनेताओं के नापाक इरादों को समझना होगा। वे वोट के जरिए इन नेताओं के नापाक इरादों पर पानी फेर सकते हैं। आतंकवाद के खिलाफ नरम रूख अपनाने वाले नेता हारेंगे तो देश की आंतकवाद विरोधी मुहिम अपने आप सफल होने लगेगी।

15 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

aapka blog ki dunia main swagat hai .ek hi nazriye se dunia ek se hi dikhti hai .atankwad pota se nahi eccha shakti se khtm hoga jo abhi kisi party main nahi dikhti . aur muslim tushtikaran sab karte hai .mukhtar abbas naqvi iski missal hai.ek vote jeb main nahi hai rastrye neta b.j.p. ke,aur log mar gaye party main kaam karte karte.

Mukesh said...

स्वागत है आपका ब्लागर परिवार में । बहुत ही सटीक मुद्दे से आपने अपना ब्लाग लेखन प्रारम्भ किया है । आपकी आवाज आम हिदुस्तानी की आवाज है...जारी रखिये...

अभिन्न said...

आतंकवाद पर पठनीय लेख ...आँखे खोल कर रख दी आपने ,अगर अब भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो भयावह परिणाम भुगतने पड़ेंगे,राजनीति की ओच्छी मानसिकता की देन ही तो है ये आतंकवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra said...

blog ki duniya mein aapka swagat hai.aatanwad gambhir samasya hai, sarkar aur janta dono ko iskey liye ekjut hona hoga. achcha lika hai aapney. badhai.mere blog per aapka swagat hai.

http://www.ashokvichar.blogspot.com

परमजीत सिहँ बाली said...

स्वागत है आपका ब्लागर परिवार में ।आतंकवाद पर पठनीय लेख|

http://paramjitbali-ps2b.blogspot.com/

श्यामल सुमन said...

रीता जी,

सूचनाओं से भरपूर आलेख अच्छा लगा। मेरा मानना है कि-

जन के ही सर पग धर कोई, लोकतंत्र के मंदिर जाता।
पद पैसा प्रभुता की खातिर, अपना सुर और राग सुनाता।
उनकी चिन्ता किसे सताती, जो जन राष्ट्र की धमनी है।
यही व्यवस्था की निष्ठुरता, उग्रवाद की जननी है।
दग्ध हुई मानवता जिसको मिलकर न सहलायेंगे।
तो इस आग में हम भी जल जायेंगे।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

मुद्दे आपने जोरदार उठाये हैं। इस सरकार ने वाकई शर्मसार कर दिय हमें।

अलबत्ता पार्टी लाइन की झलक दे रही हैं आप। आतंकवादियों के हाथों मजबूरी दिखाने का काम कान्धार विमान अपहरण मामले में भाजपाई नेतृत्व की सरकार ने भी किया है।

फिर भी आपकी अनेक बातें सही हैं। धन्यवाद।

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.


डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

अभिषेक मिश्र said...

Aapko blog community mein dekh kafi acha laga.Mera parivar aapse kafi prabhavit raha hai. Late Shri Randheer Varma ji hamare adarsh bhi rahe hain.Asha hai Atankvad ke khilaaf aapki muhim jo hamari bhi hai, sakaratmak parinaam layegi. Shubhkamnaayen.

प्रदीप मानोरिया said...

सार्थक सटीक और शानदार आलेख आपका हिन्दी चिठ्ठा जगत में हार्दिक स्वागत है . मेरी नई पोस्ट पढने आप मेरे ब्लॉग "हिन्दी काव्य मंच " पर सादर आमंत्रित हैं
"कौन जन्मदाता इसका किसके साए में पलता है
जो जिम्मेदार की हम महफूज़ रहें
उनके ही साए में पलता है "

dpkraj said...

हिंदी ब्लाग जगत मेंआपका स्वागत है। आपके लिये शुभकामानायें व्यक्त करता हूं।
दीपक भारतदीप

विनीत उत्पल said...

kya aap dhanvad ke purv S.P. randheer verma kee wife aur vahan kee sansad hai. jo kabhee ranchee men profesar huaa kartee thee.

बवाल said...

खुशामदीद मोहतरमा, अच्छा लेख था आपका. जारी रखियेगा .

Rajesh R. Singh said...

हिंदी ब्लाग जगत मेंआपका स्वागत है।

Anonymous said...

good article...